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चाहे मनुष्य हो या ईश्वर, स्वच्छन्द इच्छा के बिना कोई कर्म नहीं हो सकता। इसका अर्थ यह हुआ कि स्वच्छन्द इच्छा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] की एक संस्था है जो उस किरण के कारण को अभिव्यक्त करती है। स्वच्छन्द इच्छा एकीकरण के नियम का मूल बिंदु है। केवल ईश्वर और मनुष्य ही कर्म बनाते हैं क्योंकि केवल ईश्वर और मनुष्य में ईश्वर के पास ही स्वच्छन्द इच्छा है। अन्य सभी प्राणी - [[Special:MyLanguage/elementals|सृष्टि देव]], [[Special:MyLanguage/Deva|देवी देवता ]] और [[Special:MyLanguage/Angel|देवदूत]] - ईश्वर और मनुष्य की इच्छा को पूरा करने के साधन हैं। और इसी कारण से वे ईश्वर और मनुष्य के कर्म के साधन भी हैं।   
चाहे मनुष्य हो या ईश्वर, स्वच्छन्द इच्छा के बिना कोई कर्म नहीं हो सकता। इसका अर्थ यह हुआ कि स्वच्छन्द इच्छा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] की एक संस्था है जो उस किरण के कारण को अभिव्यक्त करती है। स्वच्छन्द इच्छा एकीकरण के नियम का मूल बिंदु है। केवल ईश्वर और मनुष्य ही कर्म बनाते हैं क्योंकि केवल ईश्वर और मनुष्य में ईश्वर के पास ही स्वच्छन्द इच्छा है। अन्य सभी प्राणी - [[Special:MyLanguage/elementals|सृष्टि देव]], [[Special:MyLanguage/Deva|देवी देवता ]] और [[Special:MyLanguage/Angel|देवदूत]] - ईश्वर और मनुष्य की इच्छा को पूरा करने के साधन हैं। और इसी कारण से वे ईश्वर और मनुष्य के कर्म के साधन भी हैं।   


देवदूतों की स्वच्छन्द इच्छा ईश्वर की स्वच्छन्द इच्छा है। ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए देवदूतों की आवश्यकता होती है। देवदूतों के पास मनुष्य की तरह ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग करने की स्वतंत्रता नहीं है। परन्तु देवदूतों के पास अपनी गलतियां सुधारने का अधिकार अवश्य है - अपनी गलतियां सुधार कर वे स्वयं को ईश्वर की इच्छा और ऊर्जा के साथ पुनः जोड़ सकते हैं।   
देवदूतों की स्वच्छन्द इच्छा ईश्वर की स्वच्छन्द इच्छा है। ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए देवदूतों की आवश्यकता होती है। देवदूतों के पास मनुष्य की तरह ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग करने की स्वतंत्रता नहीं है। परन्तु देवदूतों के पास अपनी गलतियां सुधारने का अधिकार अवश्य है - अपनी गलतियां सुधार कर वे स्वयं को ईश्वर की इच्छा और ऊर्जा के साथ पुनः जोड़ सकते हैं।   


कभी कभी देवदूत ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध विद्रोह कर देते हैं परन्तु यह विद्रोह मनुष्य की स्वतंत्र इच्छा के फलस्वरूप हुए कर्म-निर्माण से अलग है। ईश्वर के कानून के अंतर्गत अपनी स्वतंत्र इच्छा का उपयोग करके मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरुप को पुनः प्राप्त कर सकता है। मनुष्य अपनी स्वतंत्र इच्छा का विभिन्न रूप से प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि उसमें ईश्वर बनने की क्षमता है।   
कभी कभी देवदूत ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध विद्रोह कर देते हैं परन्तु यह विद्रोह मनुष्य की स्वतंत्र इच्छा के फलस्वरूप हुए कर्म-निर्माण से अलग है। ईश्वर के कानून के अंतर्गत अपनी स्वतंत्र इच्छा का उपयोग करके मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरुप को पुनः प्राप्त कर सकता है। मनुष्य अपनी स्वतंत्र इच्छा का विभिन्न रूप से प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि उसमें ईश्वर बनने की क्षमता है।   
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