29,262
edits
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
PeterDuffy (talk | contribs) No edit summary |
||
| (14 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
| Line 9: | Line 9: | ||
महिला दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Nada|नाडा]] (Nada) ईश्वर के नियमों के बारे में हमें बताती हैं कि प्रायः मनुष्य अपने नियमों द्वारा इसे किस प्रकार से विकृत किया जाता है: | महिला दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Nada|नाडा]] (Nada) ईश्वर के नियमों के बारे में हमें बताती हैं कि प्रायः मनुष्य अपने नियमों द्वारा इसे किस प्रकार से विकृत किया जाता है: | ||
<blockquote> | |||
कई हजार साल पहले जब मैं पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, मैंने ईश्वर के बच्चों की तरफ से [[Special:MyLanguage/Atlantis|अटलांटिस]] (Atlantis) की अदालतों के समक्ष एक वकील के रूप में कानून का अभ्यास किया था और मंदिर में सेवा करने एवं ईश्वर के नियमों पर चिंतन-मनन करने के बाद मैंने यह जाना कि ईश्वर के नियम एक सुरक्षा कवच हैं जो प्रत्येकं माँ को अपने बच्चों को इस दुनिया की बुराई तथा [[Special:MyLanguage/fallen one|पथभ्रष्ट व्यक्तियों]] (fallen ones) से बचाने के लिए प्रयोग करने चाहिए। पथभ्रष्ट लोग ईश्वर के नियमों का प्रयोग अपने अनुचित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं। | कई हजार साल पहले जब मैं पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, मैंने ईश्वर के बच्चों की तरफ से [[Special:MyLanguage/Atlantis|अटलांटिस]] (Atlantis) की अदालतों के समक्ष एक वकील के रूप में कानून का अभ्यास किया था और मंदिर में सेवा करने एवं ईश्वर के नियमों पर चिंतन-मनन करने के बाद मैंने यह जाना कि ईश्वर के नियम एक सुरक्षा कवच हैं जो प्रत्येकं माँ को अपने बच्चों को इस दुनिया की बुराई तथा [[Special:MyLanguage/fallen one|पथभ्रष्ट व्यक्तियों]] (fallen ones) से बचाने के लिए प्रयोग करने चाहिए। पथभ्रष्ट लोग ईश्वर के नियमों का प्रयोग अपने अनुचित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करते हैं। | ||
| Line 23: | Line 24: | ||
क्योंकि जब ये नियम लागू किये जाते हैं तो वे एक डिक्री बन जाते हैं, एक मानव-निर्मित डिक्री (man-made decree)। एक रोबोट डिक्री (robot decree) की तरह ये नियम एक ऐसे कार्य को शक्ति देते हैं जो आत्मिक चेतना और भगवान के [[Special:MyLanguage/Word|शब्द]] (word) की अभिव्यक्ति का विरोधी है। ऐसा तब तक होता है जब तक कि उन्हें चुनौती नहीं दी जाती है, जब तक कि अदालतों और लोगों द्वारा उनके विरुद्ध आपत्ति नहीं उठाई जाती। जब नियम निर्माता और नियम समीक्षाकार आत्मा के साथ एकरूप नहीं हो जाते तो उनको चुनौती देने के लिए लोगों को परमेश्वर के शब्द (mandate of the Word of God) और उनकी पवित्रता का एक आदेश बनाना होता है। | क्योंकि जब ये नियम लागू किये जाते हैं तो वे एक डिक्री बन जाते हैं, एक मानव-निर्मित डिक्री (man-made decree)। एक रोबोट डिक्री (robot decree) की तरह ये नियम एक ऐसे कार्य को शक्ति देते हैं जो आत्मिक चेतना और भगवान के [[Special:MyLanguage/Word|शब्द]] (word) की अभिव्यक्ति का विरोधी है। ऐसा तब तक होता है जब तक कि उन्हें चुनौती नहीं दी जाती है, जब तक कि अदालतों और लोगों द्वारा उनके विरुद्ध आपत्ति नहीं उठाई जाती। जब नियम निर्माता और नियम समीक्षाकार आत्मा के साथ एकरूप नहीं हो जाते तो उनको चुनौती देने के लिए लोगों को परमेश्वर के शब्द (mandate of the Word of God) और उनकी पवित्रता का एक आदेश बनाना होता है। | ||
मैं एक बात स्पष्ट करना चाहती हूँ: कोई भी नियम जो ईश्वर के नियमों के अनुरूप नहीं होता वह ज़्यादा दिन तक रह नहीं सकता। इस प्रकार के नियम चुनौती दिए जाने की प्रतीक्षा रहे होते हैं, और जब ईश्वर | मैं एक बात स्पष्ट करना चाहती हूँ: कोई भी नियम जो ईश्वर के नियमों के अनुरूप नहीं होता वह ज़्यादा दिन तक रह नहीं सकता। इस प्रकार के नियम चुनौती दिए जाने की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, और जब ईश्वर के पुत्र या पुत्री जो अन्याय और मानव-निर्मित नियमों की असंगति को समझते हैं और उन नियमों को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं, जो [[Special:MyLanguage/Lords of Karma|कर्मों के देवी-देवता]] (Lords of Karma) के पास इन नियमों को लेकर जाते हैं और हमारा ध्यान इस अन्याय की ओर आकर्षित करते हैं, तो आत्मा के हेतु कर्मों के देवी-देवता तुरंत इसके विरुद्ध कदम उठाते हैं... | ||
मैं आपसे | मैं आपसे नियमों की बात कर रही हूँ, जो मनुष्य की मुक्ति का साधन और उसके विनाश का कारण बन सकते हैं। ईश्वर के नियमों की पवित्र ऊर्जा उसकी सत्ता और इच्छाशक्ति है जो सृष्टि की सरंचना के समय के मूल आदेश से लेकर उसी रूप में हमेशा प्रत्यक्ष होती है।<ref>gen। १:३</ref> तो फिर, नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि यह ऊर्जा, पवित्र अग्नि और ईश्वर का रूप है। | ||
यदि आप ईश्वर के | यदि आप ईश्वर के नियमों को नहीं जानते हैं तो आप ईश्वर के बच्चों के लिए [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] (Holy Spirit) से उसकी कृपा और उपहारों की वकालत कैसे कर सकते हैं? इसलिए इन नियमों को जानिए और उसका अध्ययन कीजिये - ईश्वर के नियमों और मनुष्य के नियमों के अंतर को सीखिए और देखिये कि लागू (enacted) किए गए कौन से नियम सत्य के अनुरूप हैं और कौन से जीवन के मूल अस्तित्व के सत्य से परे हैं। मानव जाति को दीक्षा के मार्ग पर चलाने वाले नियमों को अधिनियमित किया जाना चाहिए, और दीक्षा के मार्ग से भटकाने वाले नियमों को चुनौती देनी चाहिए।<ref>नाडा, "द लॉ ऑफ द वन (The Law of the One)," {{POWref|६४|१३|, १ अप्रैल २०२१}} | ||
</blockquote> | </blockquote> | ||