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Antichrist/hi: Difference between revisions

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'''छोटे अक्षरों''' में जब यह लिखा जाता है तो ये [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] और आत्मिक चेतना के विरोधी व्यक्ति या शक्तियों के बारे में बताता है।  
'''छोटे अक्षरों''' में जब यह लिखा जाता है तो ये [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] और आत्मिक चेतना के विरोधी व्यक्ति या शक्तियों के बारे में बताता है।  


'''''विशेषण'''''  आत्मिक चेतना के शत्रुओं में ऐसे लक्षण होते हैं जो ईश्वर के प्रति विरोध को दिखाते हैं, ये मनुष्यों की भगवान् होने की क्षमता को नहीं मानते और विभिन्न विकृतियों द्वारा जीवात्माओं को नष्ट करते हैं
'''''विशेषण'''''  आत्मिक चेतना के शत्रुओं में ऐसे लक्षण होते हैं जो ईश्वर के प्रति विरोध को दिखाते हैं, ये मनुष्यों की भगवान् होने की क्षमता को नहीं मानते और विभिन्न विकृतियों द्वारा जीवात्माओं को नष्ट करते हैं।


<span id="The_Third_Antichrist"></span>
<span id="The_Third_Antichrist"></span>
== आत्मिक चेतना के तृतीय शत्रुओं में==
== आत्मिक चेतना का तृतीय शत्रु ==


[[Special:MyLanguage/Nostradamus|नोस्ट्राडेमस]] ने आने वाले समय में चेतना के तीन शत्रुओं का ज़िक्र किया था: अनुवादकों के अनुसार इनमे से पहले के नाम  [[Special:MyLanguage/Napoleon|नेपोलीयन]] और दुसरे का नाम [[Special:MyLanguage/Hitler|हिटलर]] है। ४ अप्रैल १९९७ को [[Special:MyLanguage/El Morya|एल मोरया]] ने कहा था:  
[[Special:MyLanguage/Nostradamus|नोस्ट्राडेमस]] (Nostradamus) ने आने वाले समय में चेतना के तीन शत्रुओं का ज़िक्र किया था: अनुवादकों के अनुसार इनमे से पहले का नाम  [[Special:MyLanguage/Napoleon|नेपोलीयन]] (Napoleon) और दूसरे का नाम [[Special:MyLanguage/Hitler|हिटलर]] (Hitler) है। ४ अप्रैल १९९७ को [[Special:MyLanguage/El Morya|एल मोरया]] (El Morya) ने कहा था:  


<blockquote>आप ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि वे आत्मिक चेतना के शत्रुओं का नाश करें। ऐसे लोगों और इनके सभी साथियों को बांधना अत्यंत आवश्यक है। गलत मनुष्य और गलत सोच दोनों ही ईश्वर के शत्रु हैं। ये वहां पनपते हैं जहां नैतिक मूल्यों की कमी होती है, इंसान निर्बल होता है तथा समाज टूटा हुआ होता है।<ref>{{POWref|40|40|, ५ अक्टूबर १९९७ }}</ref></blockquote>
<blockquote>आप ईश्वर से प्रार्थना कीजिये कि वे आत्मिक चेतना के तीसरे शत्रु का नाश करें। ऐसे लोग और उनके सभी साथियों को रोकना अत्यंत आवश्यक है। गलत मनुष्य और गलत सोच दोनों ही आत्मिक चेतना के शत्रु हैं। ये वहां पनपते हैं जहां नैतिक मूल्यों की कमी होती है, इंसान निर्बल होता है तथा समाज टूटा हुआ होता है।<ref>{{POWref|40|40|, ५ अक्टूबर १९९७ }}</ref></blockquote>
 
[[रूबी रंग की किरण के बुद्ध]] ने कहा है:
(The Buddha of the Ruby Ray has said)
 
मैं रूबी रंग की किरण के आदेशों के कार्यो में आपके प्रयासों की प्रशंसा करने आया हूँ। मैं आपको यह बताने आया हूँ कि आज पृथ्वी पर आत्मिक चेतना के शत्रु (Antichrists) ईश्वर के दूतों द्वारा पकड़े गए हैं और मैं चाहता हूँ कि आप दुनिया में उस तीसरे आत्मिक चेतना के शत्रु की तलाश में रहें। जब वह आपके सामने आएगा तो आप उसे पहचान लेंगे और प्रिय आप जान जाएँगे कि यह रूबी रंग की किरण से आपके आदेशों के प्रयास से ही हुआ है। इन पथभ्रष्ट लोगों (fallen ones) को सबके सामने प्रत्यक्ष (expose) करने की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है।<ref>रूबी रंग की किरण के बुद्ध, "मैं रूबी रंग की किरण के कार्यो से पृथ्वी को संतृप्त (Saturate) करता हूँ," {{POWref|45|50|, 15 दिसंबर, 2002}}</ref></blockquote>


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