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=== मर्लिन === | === मर्लिन === | ||
{{main-hi|Merlin}} | {{main-hi|Merlin|मर्लिन}} | ||
पाँचवीं शताब्दी में संत जर्मेन मर्लिन के रूप में अवतरित हुए। वे [[Special:MyLanguage/King Arthur|राजा आर्थर]] के दरबार में एक रसायनशास्त्री थे, भविष्यवक्ता और सलाहकार के रूप में कार्य करते थे। युद्धरत सामंतों से विखंडित और सैक्सन आक्रमणकारियों से त्रस्त भूमि में मर्लिन ने ब्रिटेन के राज्य को एकजुट करने के लिए बारह युद्धों (जो वास्तव में बारह दीक्षाएँ थीं) में आर्थर का नेतृत्व किया। उन्होंने [[Special:MyLanguage/Round Table|राउंड टेबल]] की पवित्र अध्येतावृत्ति स्थापित करने के लिए राजा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। मर्लिन और आर्थर के मार्गदर्शन में कैमलॉट [[Special:MyLanguage/mystery school|रहस्य का एक विद्यालय]] था जहाँ वीर पुरुष और स्त्रियां [[Special:MyLanguage/Holy Grail|होली ग्रेल]] के रहस्यों को जानने के लिए अध्ययन करते थे, और स्वयं का आध्यात्मिक विकास भी करते थे। | पाँचवीं शताब्दी में संत जर्मेन मर्लिन के रूप में अवतरित हुए। वे [[Special:MyLanguage/King Arthur|राजा आर्थर]] के दरबार में एक रसायनशास्त्री थे, भविष्यवक्ता और सलाहकार के रूप में कार्य करते थे। युद्धरत सामंतों से विखंडित और सैक्सन आक्रमणकारियों से त्रस्त भूमि में मर्लिन ने ब्रिटेन के राज्य को एकजुट करने के लिए बारह युद्धों (जो वास्तव में बारह दीक्षाएँ थीं) में आर्थर का नेतृत्व किया। उन्होंने [[Special:MyLanguage/Round Table|राउंड टेबल]] की पवित्र अध्येतावृत्ति स्थापित करने के लिए राजा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। मर्लिन और आर्थर के मार्गदर्शन में कैमलॉट [[Special:MyLanguage/mystery school|रहस्य का एक विद्यालय]] था जहाँ वीर पुरुष और स्त्रियां [[Special:MyLanguage/Holy Grail|होली ग्रेल]] के रहस्यों को जानने के लिए अध्ययन करते थे, और स्वयं का आध्यात्मिक विकास भी करते थे। | ||
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=== रोजर बेकन === | === रोजर बेकन === | ||
{{Main-hi|Roger Bacon}} | {{Main-hi|Roger Bacon|रोजर बेकन}} | ||
संत जर्मेन एक जन्म में रोजर बेकन (१२२०-१२९२) थे। बेकन के रूप में वे एक दार्शनिक, फ्रांसिस्कन भिक्षु, शिक्षाविद्, शैक्षिक सुधारक और प्रयोगात्मक वैज्ञानिक थे। वो एक ऐसा युग था जब विज्ञान का मापदंड धर्म और तर्क पर आधारित था, और ऐसे समय में बेकन ने विज्ञान में प्रयोगात्मक पद्धति को बढ़ावा दिया; उन्होंने कहा कि दुनिया गोल है - उन्होंने उस समय के विद्वानों और वैज्ञानिकों की संकीर्ण विचारधारा की निंदा की। उन्होंने कहा कि "सच्चा ज्ञान दूसरों के अधिकार से नहीं उत्पन्न होता और ना ही यह पुरातनपंथी सिद्धांतों के प्रति अंधश्रद्धा से उपजता है।" <ref>हेनरी थॉमस एंड डाना ली थॉमस, ''लिविंग बायोग्राफीज़ ऑफ़ ग्रेट साइंटिस्ट्स'' (गार्डन सिटी, न्यूयॉर्क: नेल्सन डबलडे, १९४१), पृष्ठ १५.</ref> अंततः बेकन ने पेरिस विश्वविद्यालय में व्याख्याता का पद छोड़ दिया और फ्रांसिस्कन ऑर्डर ऑफ़ फ्रायर्स माइनर में शामिल हो गए। | संत जर्मेन एक जन्म में रोजर बेकन (१२२०-१२९२) थे। बेकन के रूप में वे एक दार्शनिक, फ्रांसिस्कन भिक्षु, शिक्षाविद्, शैक्षिक सुधारक और प्रयोगात्मक वैज्ञानिक थे। वो एक ऐसा युग था जब विज्ञान का मापदंड धर्म और तर्क पर आधारित था, और ऐसे समय में बेकन ने विज्ञान में प्रयोगात्मक पद्धति को बढ़ावा दिया; उन्होंने कहा कि दुनिया गोल है - उन्होंने उस समय के विद्वानों और वैज्ञानिकों की संकीर्ण विचारधारा की निंदा की। उन्होंने कहा कि "सच्चा ज्ञान दूसरों के अधिकार से नहीं उत्पन्न होता और ना ही यह पुरातनपंथी सिद्धांतों के प्रति अंधश्रद्धा से उपजता है।" <ref>हेनरी थॉमस एंड डाना ली थॉमस, ''लिविंग बायोग्राफीज़ ऑफ़ ग्रेट साइंटिस्ट्स'' (गार्डन सिटी, न्यूयॉर्क: नेल्सन डबलडे, १९४१), पृष्ठ १५.</ref> अंततः बेकन ने पेरिस विश्वविद्यालय में व्याख्याता का पद छोड़ दिया और फ्रांसिस्कन ऑर्डर ऑफ़ फ्रायर्स माइनर में शामिल हो गए। | ||
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=== क्रिस्टोफर कोलंबस === | === क्रिस्टोफर कोलंबस === | ||
{{Main-hi|Christopher Columbus}} | {{Main-hi|Christopher Columbus|क्रिस्टोफर कोलंबस}} | ||
एक अन्य जन्म में संत जर्मेन अमेरिका के आविष्कारक क्रिस्टोफर कोलंबस (१४५१-१५०६) थे। कोलंबस के जन्म से दो शताब्दी से भी अधिक समय पहले रोजर बेकन कोलंबस की यात्रा के लिए मंच तैयार किया था - उन्होंने अपनी पुस्तक ''ओपस माजस'' में लिखा था कि "यदि मौसम अनुकूल हो तो पश्चिम में स्पेन के अंत और पूर्व में भारत की शुरुआत के बीच का समुद्र की यात्रा कुछ ही दिनों की जा सकती है।"<ref>डेविड वॉलेचिन्स्की, एमी वालेस एंड इरविंग वालेस की पुस्तक ''द बुक ऑफ प्रेडिक्शन्स'' (न्यूयॉर्क: विलियम मोरो एंड कंपनी, १९८०), पृष्ठ ३४६.</ref> हालाँकि यह कथन गलत था क्योंकि स्पेन के पश्चिम में स्थित भूमि भारत नहीं थी, फिर भी यह कथन कोलंबस की खोज में सहायक हुआ था। कोलम्बस ने १४९८ में राजा फर्डिनेंड और रानी इसाबेला को लिखे अपने एक पत्र में ''ओपस माजस'' में लिखी इस बात को उद्धृत किया और कहा कि उनकी १४९२ की यात्रा आंशिक रूप से इसी दूरदर्शी कथन से प्रेरित थी। | एक अन्य जन्म में संत जर्मेन अमेरिका के आविष्कारक क्रिस्टोफर कोलंबस (१४५१-१५०६) थे। कोलंबस के जन्म से दो शताब्दी से भी अधिक समय पहले रोजर बेकन कोलंबस की यात्रा के लिए मंच तैयार किया था - उन्होंने अपनी पुस्तक ''ओपस माजस'' में लिखा था कि "यदि मौसम अनुकूल हो तो पश्चिम में स्पेन के अंत और पूर्व में भारत की शुरुआत के बीच का समुद्र की यात्रा कुछ ही दिनों की जा सकती है।"<ref>डेविड वॉलेचिन्स्की, एमी वालेस एंड इरविंग वालेस की पुस्तक ''द बुक ऑफ प्रेडिक्शन्स'' (न्यूयॉर्क: विलियम मोरो एंड कंपनी, १९८०), पृष्ठ ३४६.</ref> हालाँकि यह कथन गलत था क्योंकि स्पेन के पश्चिम में स्थित भूमि भारत नहीं थी, फिर भी यह कथन कोलंबस की खोज में सहायक हुआ था। कोलम्बस ने १४९८ में राजा फर्डिनेंड और रानी इसाबेला को लिखे अपने एक पत्र में ''ओपस माजस'' में लिखी इस बात को उद्धृत किया और कहा कि उनकी १४९२ की यात्रा आंशिक रूप से इसी दूरदर्शी कथन से प्रेरित थी। | ||
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=== फ्रांसिस बेकन === | === फ्रांसिस बेकन === | ||
{{Main-hi|Francis Bacon}} | {{Main-hi|Francis Bacon|फ्रांसिस बेकन}} | ||
फ्रांसिस बेकन (१५६१-१६२६) एक दार्शनिक, राजनेता, निबंधकार और साहित्यकार थे। बेकन को पश्चिम का अब तक का सबसे बड़ा ज्ञानी और विचारक कहा जाता है। वे विवेचनात्मक तार्किकता (एक तर्क पद्धति है जिसमें विशिष्ट तथ्यों को जोड़कर एक सामान्य निष्कर्ष निकाला जाता है) और वैज्ञानिक पद्धति के जनक माने जाते हैं। वे काफी हद तक इस तकनीकी युग के लिए ज़िम्मेदार हैं जिसमें हम आज जी रहे हैं। वे जानते थे कि केवल व्यावहारिक विज्ञान ही जनसाधारण को मानवीय कष्टों और आम ज़िन्दगी की नीरसता से मुक्ति दिला सकता है और ऐसा होने पर ही मनुष्य आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हो सकता है, व् उस उत्तम आध्यात्मिकता की पुनः खोज कर सकता है जिसे वह पहले कभी अच्छी तरह से जानता था। | फ्रांसिस बेकन (१५६१-१६२६) एक दार्शनिक, राजनेता, निबंधकार और साहित्यकार थे। बेकन को पश्चिम का अब तक का सबसे बड़ा ज्ञानी और विचारक कहा जाता है। वे विवेचनात्मक तार्किकता (एक तर्क पद्धति है जिसमें विशिष्ट तथ्यों को जोड़कर एक सामान्य निष्कर्ष निकाला जाता है) और वैज्ञानिक पद्धति के जनक माने जाते हैं। वे काफी हद तक इस तकनीकी युग के लिए ज़िम्मेदार हैं जिसमें हम आज जी रहे हैं। वे जानते थे कि केवल व्यावहारिक विज्ञान ही जनसाधारण को मानवीय कष्टों और आम ज़िन्दगी की नीरसता से मुक्ति दिला सकता है और ऐसा होने पर ही मनुष्य आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हो सकता है, व् उस उत्तम आध्यात्मिकता की पुनः खोज कर सकता है जिसे वह पहले कभी अच्छी तरह से जानता था। | ||
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=== यूरोप का अजूबा आदमी === | === यूरोप का अजूबा आदमी === | ||
{{Main-hi|Wonderman of Europe}} | {{Main-hi|Wonderman of Europe|यूरोप का अजूबा आदमी}} | ||
लोगों को मुक्ति दिलाने की सर्वोपरि इच्छा रखते हुए संत जर्मेन ने [[Special:MyLanguage/Lords of Karma|कर्म के स्वामी]] से भौतिक शरीर में पृथ्वी पर लौटने की अनुमति मांगी और उन्हें यह अनुमति मिल भी गई। वे "ले कॉम्टे डे सेंट जर्मेन" के रूप में प्रकट हुए - एक "चमत्कारी" सज्जन जिन्होंने अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान यूरोप के दरबारों को चकित कर दिया था। यहीं से उन्हें "द वंडरमैन (एक अजूबा आदमी)" का खिताब मिला। | लोगों को मुक्ति दिलाने की सर्वोपरि इच्छा रखते हुए संत जर्मेन ने [[Special:MyLanguage/Lords of Karma|कर्म के स्वामी]] से भौतिक शरीर में पृथ्वी पर लौटने की अनुमति मांगी और उन्हें यह अनुमति मिल भी गई। वे "ले कॉम्टे डे सेंट जर्मेन" के रूप में प्रकट हुए - एक "चमत्कारी" सज्जन जिन्होंने अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान यूरोप के दरबारों को चकित कर दिया था। यहीं से उन्हें "द वंडरमैन (एक अजूबा आदमी)" का खिताब मिला। | ||
वे एक आद्यवैज्ञानिक, विद्वान, भाषाविद्, कवि, संगीतकार, कलाकार, कथाकार और राजनयिक थे। यूरोप के दरबारों में उनकी काफी प्रशंसा की जाती थी। उन्हें मणियों की पहचान थी, उन्हें हीरे और अन्य रत्नों में दोष निकालने के लिए जाना जाता था। साथ ही उन्हें एक हाथ से पत्र और दूसरे हाथ से कविता लिखने जैसे कार्य के लिए भी जाना जाता था। वोल्टेयर के शब्दों में "वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो कभी नहीं मर सकता, और जो सब कुछ जानता है।"<ref>वोल्टेयर, ''ओयूव्रेस'', लेट्रे cxviii, सं. बेउचोट, lviii, पृष्ठ ३६०, इसाबेल कूपर-ओकले, ''द काउंट ऑफ़ सेंट जर्मेन'' (ब्लौवेल्ट, एन.वाई.: रुडोल्फ स्टीनर पब्लिकेशंस, १९७०), पृष्ठ ९६ में उद्धृत।</ref> उनका उल्लेख फ्रेडरिक द ग्रेट, वोल्टेयर, होरेस वालपोल और कैसानोवा के पत्रों और उस समय के समाचार पत्रों में मिलता है। | |||
परदे के पीछे से वे यह प्रयास कर रहे थे कि [[Special:MyLanguage/French Revolution|फ्रांसीसी क्रांति]] बिना रक्तपात के हो जाए - राजतंत्र को प्रजातंत्र में आराम से बदल दिया जाए ताकि जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की सरकार हो। लेकिन उनकी इस सलाह को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। यूरोप को एकजुट करने के अपने अंतिम प्रयास में उन्होंने [[Special:MyLanguage/Napoleon|नेपोलियन]] का समर्थन किया, परन्तु नेपोलियन ने अपने गुरु की शक्तियों का दुरुपयोग किया और मृत्यु को प्राप्त किया। | |||
लेकिन इससे भी पहले संत जर्मेन ने अपना ध्यान एक नई दुनिया की ओर मोड़ लिया था। वे संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके [[Special:MyLanguage/George Washington|प्रथम राष्ट्रपति]] के प्रायोजक बने। स्वतंत्रता की घोषणा और संविधान उन्हीं से प्रेरित था। उन्होंने कई ऐसे उपकरणों को बनाने की प्रेरणा भी दी जिनसे शारीरिक श्रम का कम से कम उपयोग हो ताकि मानवजाति कठिन परिश्रम से मुक्त होकर ईश्वर-प्राप्ति के रास्ते पर चल सके। | |||
< | <span id="Chohan_of_the_Seventh_Ray"></span> | ||
== | == सातवीं किरण के चौहान == | ||
अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, संत जर्मेन ने महिला दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Kuan Yin|कुआन यिन]] से सातवीं किरण चौहान का पद प्राप्त किया। सातवीं किरण दया, क्षमा और पवित्र अनुष्ठान की किरण है। इसके बाद, बीसवीं शताब्दी में, संत जर्मेन एक बार फिर [[Special:MyLanguage/Great White Brotherhood|श्वेत महासंघ]] (ग्रेट व्हाइट ब्रदरहुड) की एक बाहरी गतिविधि को प्रायोजित करने के लिए आगे बढ़े। | |||
१९३० के दशक के आरंभ में उन्होंने अपने "पृथ्वी पर कार्यरत सेनापति" जॉर्ज वाशिंगटन से संपर्क किया, और उन्हें एक [[Special:MyLanguage/messenger|संदेशवाहक]] के रूप में प्रशिक्षित किया। वाशिंगटन ने [[Special:MyLanguage/Godfré Ray King|गॉडफ्रे रे किंग]] के उपनाम से, "अनवील्ड मिस्ट्रीज़", "द मैजिक प्रेज़ेंस" और "द "आई एम" डिस्कोर्सेज़" नामक पुस्तकें लिखीं जिनमें उन्होंने संत जर्मेन द्वारा नए युग के लिए दिए गए निर्देशों के बारे में लिखा। इसी दशक के अंतिम दिनों में न्याय की देवी और अन्य [[Special:MyLanguage/cosmic being|ब्रह्मांडीय प्राणी]] पवित्र अग्नि की शिक्षाओं को मानवजाति तक पहुँचाने और [[Special:MyLanguage/golden age|स्वर्ण युग]] की शुरुआत करने में संत जर्मेन की सहायता करने पृथ्वी पर अवतरित हुए। | |||
१९६१ में संत जर्मेन ने पृथ्वी पर अपने प्रतिनिधि, संदेशवाहक [[Special:MyLanguage/Mark L. Prophet|मार्क एल. प्रोफेट]] से संपर्क किया और [[Special:MyLanguage/Ancient of Days|प्राचीन काल]] के स्वामी (सनत कुमार) और उनके प्रथम और दूसरे शिष्य शिष्य [[Special:MyLanguage/Gautama|गौतम]] और [[Special:MyLanguage/Lord Maitreya|मैत्रेय]] की स्मृति में [[Special:MyLanguage/Keepers of the Flame Fraternity|लौ रक्षक बिरादरी]] (कीपर्स ऑफ़ द फ्लेम फ्रैटरनिटी) की स्थापना की। इनका उद्देश्य उन सभी लोगों को पुनर्जागृत करना था जो मूल रूप से [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] के साथ पृथ्वी पर आए थे। ये लोग पृथ्वी पर शिक्षकों के रूप में आये थे और इनका काम लोगों की सेवा करना था परन्तु यहाँ आकर वे सब बातें ये बातें भूल गए थे। संत जर्मेन का कार्य उन सबकी स्मृति को पुनर्स्थापित करना था। | |||
इस प्रकार संत जर्मेन ने मूल लौ रक्षकों को प्राचीन काल के स्वामी की वाणी को ध्यान से सुनने को कहा। उन्होंने इन सभी लोगों को अपनी आत्मा में जीवन की ज्वाला और स्वतंत्रता की पवित्र अग्नि को पुनः प्रज्वलित करने और अपने जीवन को ईश्वर की सेवा में पुनः समर्पित करने के आह्वान दिया। संत जर्मेन लौ रक्षक बिरादरी के शूरवीर सेनाध्यक्ष हैं। | |||
< | <span id="Hierarch_of_the_Aquarian_Age"></span> | ||
== | == कुम्भ युग के अध्यक्ष == | ||
१ मई १९५४ को संत जर्मेन ने सनत कुमार से शक्ति का प्रभुत्व और ईसा मसीह से अगले दो हज़ार वर्ष की अवधि के लिए मानवजाति की चेतना को निर्देशित का अधिकार प्राप्त किया। परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि ईसा मसीह का महत्व कम हो गया है। वे अब उच्च स्तरों पर [[Special:MyLanguage/World Teacher|विश्व गुरु]] के रूप में काम कर रहे हैं, और अपनी चेतना को समस्त मानवजाति के लिए पहले से भी अधिक शक्तिशाली और सर्वव्यापी रूप से दे रहे हैं क्योंकि ईश्वर का स्वभाव निरंतर श्रेष्ठ होना है। हम एक ऐसे ब्रह्मांड में रहते हैं जिसका निरंतर विस्तार होता रहता है - ब्रह्मांड जो ईश्वर के प्रत्येक पुत्र (सूर्य) के केंद्र से विस्तारित होता है। | |||
इस दो हजार वर्ष की अवधि के दौरान वायलेट लौ का आह्वान कर के हम स्वयं में ईश्वर की ऊर्जा (जिसे हमने हजारों वर्षों की अपनी गलत आदतों द्वारा अपवित्र किया है) को शुद्ध कर सकते हैं। ऐसा करने से समस्त मानवजाति भय, अभाव, पाप, बीमारी और मृत्यु से मुक्त हो सकती है, और सभी मनुष्य स्वतंत्र रूप से प्रकाश में चल सकते हैं। | |||
[[Special:MyLanguage/age of Aquarius|कुंभ युग]] की शुरुआत में संत जर्मेन कर्म के स्वामी के समक्ष गए और उनसे वायलेट लौ को आम इंसानों तक पहुंचाने की आज्ञा मांगी। इसके पहले तक वायलेट लौ का ज्ञान श्वेत महासंघ के आंतरिक आश्रमों और [[Special:MyLanguage/mystery school|रहस्यवाद के विद्यालयों]] में ही था। संत जर्मेन हमें वायलेट लौ के आह्वान से होने वाले लाभ के बारे में बताते हैं: | |||
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आपमें से कुछ लोगों के अधिकतर कर्म संतुलित हो गए हैं, कुछ के [[Special:MyLanguage/heart chakra|हृदय चक्र]] निर्मल हो गए हैं। जीवन में एक नया प्रेम, नई कोमलता, नई करुणा, जीवन के प्रति एक नई संवेदनशीलता, एक नई स्वतंत्रता और उस स्वतंत्रता की खोज में एक नया आनंद आ गया है। एक नई पवित्रता का उदय भी हुआ है क्योंकि मेरी लौ के माध्यम से आपका मेलकिडेक समुदाय के पुरोहितत्व से संपर्क हुआ है। अज्ञानता और मानसिक जड़ता कुछ सीमा तक समाप्त हुई है, और लोग एक ऐसे रास्ते पर चल पड़े हैं जो उन्हें ईश्वर तक पहुंचाता है। | |||
वायलेट लौ ने पारिवारिक रिश्तों में मदद की है। इसने कुछ लोगों को अपने पुराने कर्मों को संतुलित करने में सहायता की है और वे अपने पुराने दुखों से मुक्त होने लगे हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि वायलेट लौ में ईश्वरीय न्याय की लौ निहित है, और ईश्वरीय न्याय में ईश्वर का मूल्याङ्कन। इसलिए हम ये कह सकते हैं कि वायलेट लौ एक दोधारी [[Special:MyLanguage/sword|तलवार]] के सामान है जो सत्य को असत्य से अलग करती है... | |||
वायलेट लौ के अनेकानेक लाभ हैं पर उन सभी को यहाँ गिनाना संभव नहीं, लेकिन यह अवश्य है इसके प्रयोग से मनुष्य के भीतर एक गहन बदलाव होता है। वायलेट लौ हमारे उन सभी मतभेदों और मनोवैज्ञानिक समस्यायों का समाधान करती है जो बचपन से या फिर उसे से भी पहले पिछले जन्मों से चली आ रही हैं और जिन्होंने हमारी चेतना में इतनी गहरी जड़ें जमा ली हैं कि वे जन्म-जन्मांतर से वहीँ स्थित हैं।<ref>संत जर्मेन, "कीप माई पर्पल हार्ट," {{POWref|३१|७२}}</ref> | |||
</blockquote> | </blockquote> | ||
< | <span id="Alchemy"></span> | ||
== | == आद्यविज्ञान == | ||
{{Main-hi|Alchemy|आद्यविज्ञान}} | |||
{{Main|Alchemy}} | |||
संत जर्मेन ने अपनी पुस्तक "सेंट जर्मेन ऑन अल्केमी" में आद्यविज्ञान की शिक्षा देते हैं। वे [[Special:MyLanguage/Amethyst (gemstone)|एमेथिस्ट (रत्न)]] का उपयोग करते हैं — यह आद्द्यवैज्ञनिकों का रत्न है, कुंभ युग का रत्न है और वायलेट लौ का भी। स्ट्रॉस के वाल्ट्ज़ में वायलेट लौ का स्पंदन है और यह आपको उनके साथ तालमेल बिठाने में मदद करता है। उन्होंने हमें यह भी बताया है कि [[Special:MyLanguage/Franz Liszt|फ्रांज़ लिज़्ट]] का "राकोज़ी मार्च" उनके हृदय की लौ और वायलेट लौ के सूत्र को धारण करता है। | |||
< | <span id="Retreats"></span> | ||
== | == आश्रयस्थल == | ||
{{main-hi|Royal Teton Retreat|रॉयल टेटन रिट्रीट}} | |||
{{main|Royal Teton Retreat}} | |||
{{main-hi|Cave of Symbols|केव ऑफ सिम्बल्स}} | |||
{{main|Cave of Symbols}} | |||
संत जर्मेन का ध्यान सहारा रेगिस्तान के ऊपर स्थित स्वर्णिम [[Special:MyLanguage/etheric city|आकाशीय शहर]] में केंद्रित है। वे [[Special:MyLanguage/Royal Teton Retreat|रॉयल टेटन रिट्रीट]] के साथ-साथ टेबल माउंटेन, व्योमिंग स्थित अपने भौतिक/आकाशीय आश्रय स्थल, [[Special:MyLanguage/Cave of Symbols|केव ऑफ सिम्बल्स]] में भी पढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त वे महान दिव्य निर्देशक के केंद्रों —भारत में [[Special:MyLanguage/Cave of Light|केव ऑफ लाइट]] और ट्रांसिल्वेनिया में [[Special:MyLanguage/Rakoczy Mansion|राकोज़ी हवेली]] में भी कार्य करते हैं, जहाँ वे धर्मगुरु के रूप में विराजमान हैं। हाल ही में उन्होंने दक्षिण अमेरिका में [[Special:MyLanguage/God and Goddess Meru|मेरु देवी और देवता]] के आश्रय स्थल में भी अपना केंद्र स्थापित किया है। | |||
उनका इलेक्ट्रॉनिक स्वरुप [[Special:MyLanguage/Maltese cross|माल्टीज़ क्रॉस]] है; उनकी खुशबू, वायलेट फूलों की है। | |||
< | <span id="See_also"></span> | ||
== | == इसे भी देखिये == | ||
[[Special:MyLanguage/Portia|पोर्टीआ]] | |||
[[Portia]] | |||
< | <span id="Sources"></span> | ||
== | == स्रोत == | ||
{{MTR}}, s.v. “Saint Germain.” | {{MTR}}, s.v. “Saint Germain.” | ||
[[Category:Heavenly beings]] | [[Category:Heavenly beings]] | ||
<references /> | <references /> | ||