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जैसे जैसे लोगों ने अपने [[Special:MyLanguage/God Presence|अंदर के ईश्वर]] (God Presence) पर से अपना ध्यान हटाना शुरू किया, वे और अधिक मात्रा में बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ गए। विभिन्न जनजातियों के लोग लड़-झगड़ कर एक दूसरे से अलग हो गए। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मनुष्य अपनी आध्यात्मिक शक्ति भी खोने लगा तथा उसका मन अंधेरों में घिर गया। इस तरह सभी मनुष्य बुरी ताकतों के गुलाम बनकर रह गए। | जैसे जैसे लोगों ने अपने [[Special:MyLanguage/God Presence|अंदर के ईश्वर]] (God Presence) पर से अपना ध्यान हटाना शुरू किया, वे और अधिक मात्रा में बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ गए। विभिन्न जनजातियों के लोग लड़-झगड़ कर एक दूसरे से अलग हो गए। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मनुष्य अपनी आध्यात्मिक शक्ति भी खोने लगा तथा उसका मन अंधेरों में घिर गया। इस तरह सभी मनुष्य बुरी ताकतों के गुलाम बनकर रह गए। | ||
लोगों की ऐसी हालत से दुखी होकर, उनका उद्धार करने के उद्देश्य से, | लोगों की ऐसी हालत से दुखी होकर, उनका उद्धार करने के उद्देश्य से,आफरा ने मनुष्यों को बचाने के लिए उनके बीच अवतार लिया। सबसे पहले उन्होंने मनुष्यों के सबसे कमज़ोर पक्ष पता लगाया - यह कमज़ोर पक्ष था भाईचारे की भावना का ख़त्म होना। रूपकात्मक ढंग से कहें तो उस वक्त के अधिकतर लोग एबल के बजाय [[Special:MyLanguage/Cain|केन]] के अनुयायी थे। जब भगवान ने लोगों से पूछा कि क्या वे अपने दोस्तों, अपने समाज के लिए अपने जीवन का त्याग कर सकते हैं, तो उनका उत्तर वही था जो केन का था: "क्या में अपने भाई का रखवाला हूँ? ”<ref>Gen. 4:9.</ref> जो भी व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर 'ना' में देता है वह अपने अहम् का शिकार है। ऐसा व्यक्ति कभी भी अपने भाई का रखवाला नहीं हो सकता, ऐसे व्यक्ति के अंदर दिव्य ज्योति बुझ जाती है। | ||
अफरा जानते थे कि अधिकाँश लोगों ने अपने अंदर की [[Special:MyLanguage/threefold flame|दिव्य ज्योति]] (Threefold Flame) को खो दिया है। उसी तरह जिस तरह आज भी बहुत सारे लोग क्रोध करने की वजह से अपनी इस दिव्य ज्योति को खो रहे हैं। अफरा जानते थे की इस दिव्य ज्योति को वापिस पाने के लिए मनुष्यों को भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा, उन्हें एक दुसरे का ख्याल रखना होगा, देखभाल करनी होगी। और ये बात स्वयं सबका भाई बनकर ही सिखाई जा सकती है। दुःख की बात ये है, केवल इसी बात के लिए बाकी सभी लोगों ने उनको सूली पर चढ़ा दिय। अफरा उन लोगों के बीच जीसस क्राइस्ट के समकक्ष थे, पर वो लोग उन्हें पहचान नहीं पाए। लोग सत्ता के लालच में अंधे हो गए थे। | अफरा जानते थे कि अधिकाँश लोगों ने अपने अंदर की [[Special:MyLanguage/threefold flame|दिव्य ज्योति]] (Threefold Flame) को खो दिया है। उसी तरह जिस तरह आज भी बहुत सारे लोग क्रोध करने की वजह से अपनी इस दिव्य ज्योति को खो रहे हैं। अफरा जानते थे की इस दिव्य ज्योति को वापिस पाने के लिए मनुष्यों को भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा, उन्हें एक दुसरे का ख्याल रखना होगा, देखभाल करनी होगी। और ये बात स्वयं सबका भाई बनकर ही सिखाई जा सकती है। दुःख की बात ये है, केवल इसी बात के लिए बाकी सभी लोगों ने उनको सूली पर चढ़ा दिय। अफरा उन लोगों के बीच जीसस क्राइस्ट के समकक्ष थे, पर वो लोग उन्हें पहचान नहीं पाए। लोग सत्ता के लालच में अंधे हो गए थे। | ||
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