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Lord Maitreya/hi: Difference between revisions

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लेमूरिया (Lemuria) और [[Special:MyLanguage/Atlantis|(Atlantis) अटलांटिस]] के डूबने के बाद वहां स्थापित किए गए रहस्यवादी विद्यालयों को चीन, भारत और तिब्बत के साथ-साथ यूरोप, अमेरिका और प्रशांत अग्नि वलय (Pacific fire ring) में स्थानांतरित कर दिया गया था। वहां हज़ारों वर्षों तक  स्थापित रहे, परन्तु समय के साथ फैलने वाले अज्ञान के अन्धकार ने एक-एक करके इन विद्यालयों को समाप्त कर दिया।  
लेमूरिया (Lemuria) और [[Special:MyLanguage/Atlantis|(Atlantis) अटलांटिस]] के डूबने के बाद वहां स्थापित किए गए रहस्यवादी विद्यालयों को चीन, भारत और तिब्बत के साथ-साथ यूरोप, अमेरिका और प्रशांत अग्नि वलय (Pacific fire ring) में स्थानांतरित कर दिया गया था। वहां हज़ारों वर्षों तक  स्थापित रहे, परन्तु समय के साथ फैलने वाले अज्ञान के अन्धकार ने एक-एक करके इन विद्यालयों को समाप्त कर दिया।  


नष्ट हुए इन विद्यालयों को इनके आयोजक दिव्यगुरूओं ने अपने [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय आश्रय स्थलों]] में ले लिया, और इन स्थानों से अपनी पवित्र लौ भी हटा  ली। इन आकाशीय विद्यालयों में दिव्यगुरु अपने शिष्यों को दिव्य आत्म-ज्ञान की शिक्षा देते हैं - दो जन्मों के बीच के समय में तथा निद्रा समय में या [[Special:MyLanguage/samadhi|समाधी]] लेते वक्त उनके सूक्ष्म शरीरों को आकाशीय स्तर में स्थित इन विद्यालयों में ले जाकर। बीसवीं सदी में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मैन]] के आने से पहले तक भौतिक स्तर पर यह ज्ञान मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं था। मैत्रेय बुद्ध ने बताया है कि इस समय बाहरी दुनिया ही एक प्रकार से आश्रय स्थल बन गई है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी दीक्षा लेगा और इन्हें पारित करते हुए अपनी शाश्वत स्वतंत्रता प्राप्त करेगा।
नष्ट हुए इन विद्यालयों को इनके आयोजक दिव्यगुरूओं ने अपने [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय आश्रय स्थलों]] में ले लिया, और इन स्थानों से अपनी पवित्र अग्नि लौ भी हटा  ली। इन आकाशीय विद्यालयों में दिव्यगुरु अपने शिष्यों को दिव्य आत्म-ज्ञान की शिक्षा देते हैं - दो जन्मों के बीच के समय में तथा निद्रा समय में या [[Special:MyLanguage/samadhi|समाधी]] लेते वक्त उनके सूक्ष्म शरीरों को आकाशीय स्तर में स्थित इन विद्यालयों में ले जाकर। बीसवीं सदी में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मैन]] के आने से पहले तक भौतिक स्तर पर यह ज्ञान मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं था। मैत्रेय बुद्ध ने बताया है कि इस समय बाहरी दुनिया ही एक प्रकार से आश्रय स्थल बन गई है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी दीक्षा लेगा और इन्हें पारित करते हुए अपनी शाश्वत स्वतंत्रता (eternal freedom) प्राप्त करेगा।


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