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Maha Chohan/hi: Difference between revisions

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...प्राचीन काल के एक महान बुनकर (weaver) की तरह वह दिव्यगुरु के प्रकाश और प्रेम का एक बेजोड़ वस्त्र बुनते हैं। ईश्वर की दृष्टि मनुष्य पर केंद्रित होकर प्रकाश की उज्ज्वल किरणें,पवित्रता और सुख के जगमगाते अंशों को पृथ्वी की ओर और ईश्वर के बच्चों के हृदयों में प्रवाहित करती है, जबकि मनुष्य की आशाओं, आकांक्षाओं, प्रार्थनाओं और सहायता के लिए कोमल आह्वान, ईश्वर को उनकी ब्रह्मांडीय पवित्रता के विशाल आश्रय में ले जाते हैं...
...प्राचीन काल के एक महान बुनकर (weaver) की तरह वह दिव्यगुरु के प्रकाश और प्रेम का एक बेजोड़ वस्त्र बुनते हैं। ईश्वर की दृष्टि मनुष्य पर केंद्रित होकर प्रकाश की उज्ज्वल किरणें,पवित्रता और सुख के जगमगाते अंशों को पृथ्वी की ओर और ईश्वर के बच्चों के हृदयों में प्रवाहित करती है, जबकि मनुष्य की आशाओं, आकांक्षाओं, प्रार्थनाओं और सहायता के लिए कोमल आह्वान, ईश्वर को उनकी ब्रह्मांडीय पवित्रता के विशाल आश्रय में ले जाते हैं...
जबकि मनुष्यों की आशाओं, आकांक्षाओं, प्रार्थनाओं और सहायता के लिए पुकारों की कोमल भावनाएँ ब्रह्मांडीय पवित्रता के अपने शक्तिशाली आश्रय में ईश्वर का अनुसरण करती हैं...


ईश्वर की पवित्र आत्मा प्रकाश के एक छोटे से बीज के रूप में पृथ्वी पर प्रत्येक पदार्थ में प्रवेश करती है और फिर रूप और अस्तित्व, विचार और धारणा की प्रत्येक कोशिका में फैल अध्यात्मविद्या और चेतना का भण्डार बन जाती है। बहुत से लोग यह जान नहीं पाते परन्तु कुछ एक ज़रूर पहचान जाते हैं। अनंत प्रसन्नता के द्योतक इस दिव्य ज्ञान का प्रकाश अनश्वर है। मनुष्य इस ज्ञान को शनैः शनैः अपनी चेतना में भरता है।<ref>द महा चौहान, “द डिसेंट ऑफ़ द होली स्पिरिट (The Descent of the Holy Spirit),” {{POWref|७|४८, २७ नवम्बर, १९६४}}</ref>  
ईश्वर की पवित्र आत्मा प्रकाश के एक छोटे से बीज के रूप में पृथ्वी पर प्रत्येक पदार्थ में प्रवेश करती है और फिर रूप और अस्तित्व, विचार और धारणा की प्रत्येक कोशिका में फैल अध्यात्मविद्या और चेतना का भण्डार बन जाती है। बहुत से लोग यह जान नहीं पाते परन्तु कुछ एक ज़रूर पहचान जाते हैं। अनंत प्रसन्नता के द्योतक इस दिव्य ज्ञान का प्रकाश अनश्वर है। मनुष्य इस ज्ञान को शनैः शनैः अपनी चेतना में भरता है।<ref>द महा चौहान, “द डिसेंट ऑफ़ द होली स्पिरिट (The Descent of the Holy Spirit),” {{POWref|७|४८, २७ नवम्बर, १९६४}}</ref>  
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