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किसी भी युग में दो मुख्य आदर्श अवतार होते हैं - एक पुरुष और दूसरा स्त्री - जो अपने जीवन द्वारा [[Special:MyLanguage/initiation|भगवान् की दीक्षा ]] जिसमें [[Special:MyLanguage/solar hierarchies|सौर पदक्रम]] (solar hierarchies) द्वारा निर्दिष्ट मार्ग जो दो हज़ार साल के युग में जीवन को [[Special:MyLanguage/Cosmic Christ|ब्रह्मांडीय चेतना]] की ओर ले जाते हैं। मानव जाति के कर्म और विकास संबंधी (प्रगति या अवनति) आध्यात्मिक शब्द (Logos) की जरूरतों को [[Special:MyLanguage/angel|मनु]] (manus) बहुत सारी पवित्र आत्माओं को निर्दिष्ट कर सकते हैं, इनमें से अत्याधिक उच्च चेतना वाले लोग होते हैं जो [[Special:MyLanguage/world teacher|विश्वगुरु]] और पथनिर्देशक बनते हैं। | किसी भी युग में दो मुख्य आदर्श अवतार होते हैं - एक पुरुष और दूसरा स्त्री - जो अपने जीवन द्वारा [[Special:MyLanguage/initiation|भगवान् की दीक्षा ]] जिसमें [[Special:MyLanguage/solar hierarchies|सौर पदक्रम]] (solar hierarchies) द्वारा निर्दिष्ट मार्ग जो दो हज़ार साल के युग में जीवन को [[Special:MyLanguage/Cosmic Christ|ब्रह्मांडीय चेतना]] की ओर ले जाते हैं। मानव जाति के कर्म और विकास संबंधी (प्रगति या अवनति) आध्यात्मिक शब्द (Logos) की जरूरतों को [[Special:MyLanguage/angel|मनु]] (manus) बहुत सारी पवित्र आत्माओं को निर्दिष्ट कर सकते हैं, इनमें से अत्याधिक उच्च चेतना वाले लोग होते हैं जो [[Special:MyLanguage/world teacher|विश्वगुरु]] और पथनिर्देशक बनते हैं। | ||
किसी भी युग में | किसी भी युग में आध्यात्मिक चेतना से आच्छादित अवतार अपने जीवन द्वारा "आध्यात्मिक शब्द के नियमों" (Law of the Logos) को दर्शाते हैं - "लोगोस" एक यूनानी शब्द है और "लॉ ऑफ लोगोस" का अर्थ है ब्रह्माण्ड में निहित परम सत्य। यह परम सत्य विभिन्न मनु और अवतार अपनी वाणी और कर्म द्वारा दिखाते हैं - इन सब का एक ही ध्येय है और वह है प्रत्येक मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति। | ||
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