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Mary, the mother of Jesus/hi: Difference between revisions

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(Created page with "<blockquote>मैं फ़ातिमा की भविष्यवाणी के साथ जीती हूँ। मैं उस संदेश के साथ जीती हूँ। और मैं हर दर और दिल का दरवाज़ा खटखटाती हूँ, लोगों से पूछती हूँ कि क्या वे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आग...")
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<blockquote>मैं फ़ातिमा की भविष्यवाणी के साथ जीती हूँ। मैं उस संदेश के साथ जीती हूँ। और मैं हर दर और दिल का दरवाज़ा खटखटाती हूँ, लोगों से पूछती हूँ कि क्या वे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आगे आएंगे - क्या वे वायलेट लौ या की डिक्रीस करेंगे या माला जपेंगे या फिर [[महादूत माइकल]] का  आह्वान करेंगे। प्रार्थना करने से ही द्वार खुलते हैं और देवदूत आकर आपदा और विपत्ति को रोकने के लिए काम करते हैं।<ref>मदर मैरी, "द कंटीन्यूटी ऑफ़ बीइंग," {{POWref|२७|६३|, ३० दिसंबर, १९८४}}</ref></blockquote>
<blockquote>मैं फ़ातिमा की भविष्यवाणी के साथ जीती हूँ। मैं उस संदेश के साथ जीती हूँ। और मैं हर दर और दिल का दरवाज़ा खटखटाती हूँ, लोगों से पूछती हूँ कि क्या वे मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए आगे आएंगे - क्या वे वायलेट लौ या की डिक्रीस करेंगे या माला जपेंगे या फिर [[महादूत माइकल]] का  आह्वान करेंगे। प्रार्थना करने से ही द्वार खुलते हैं और देवदूत आकर आपदा और विपत्ति को रोकने के लिए काम करते हैं।<ref>मदर मैरी, "द कंटीन्यूटी ऑफ़ बीइंग," {{POWref|२७|६३|, ३० दिसंबर, १९८४}}</ref></blockquote>


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देवदूतों की मध्यस्थता से अनेकों बार चमत्कार हुए हैं। जब १९४५ में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था, तो परमाणु विस्फोट के केंद्र से आठ ब्लॉक दूर रहने वाले आठ लोग चमत्कारिक रूप से अछूते रहे थे। उनमें से एक, फादर ह्यूबर्ट शिफनर, एस.जे. ने बताया, "उस घर में हर दिन माला का जाप किया जाता था। उस घर में, हम फातिमा के संदेश को जी रहे थे।"<ref>फ्रांसिस जॉनस्टन, ''फातिमा: द ग्रेट साइन'' (वाशिंगटन, एन.जे.: एएमआई प्रेस, १९८०), पृष्ठ १३९.</ref>
Miracles have occurred again and again through her intercession. When the atomic bomb was dropped on Hiroshima in 1945, eight men living eight blocks from the center of the nuclear blast were miraculously untouched. One of them, Father Hubert Shiffner, S.J., explained, “In that house the rosary was prayed every day. In that house, we were living the message of Fatima.”<ref>Francis Johnston, ''Fatima: The Great Sign'' (Washington, N.J.: AMI Press, 1980), p. 139.</ref>
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