Jump to content

Mary, the mother of Jesus/hi: Difference between revisions

Created page with "घाटी की लिली"
(Created page with "ईश्वर शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का सर्वोच्च अभ्यासी है। चाहे मनुष्य अपने असलो व्यक्तित्व से कितना भी दूर चला जाए, ईश्वर हमेशा मनुष्य को उसी रूप में देखता है जिसमें उसने उसे बनाया है...")
(Created page with "घाटी की लिली")
Line 150: Line 150:
ईश्वर शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का सर्वोच्च अभ्यासी है। चाहे मनुष्य अपने असलो व्यक्तित्व से कितना भी दूर चला जाए, ईश्वर हमेशा मनुष्य को उसी रूप में देखता है जिसमें उसने उसे बनाया है। शुद्ध संकल्पना का अभ्यास स्वर्ग के हर देवदूत द्वारा किया जाता है। अंतर्मन में हर मनुष्य यह बात जानता है,अपने दिल की गहराइयों में वह इस बात से अभिज्ञ है परन्तु बाह्य मस्तिष्क में इसकी स्मृति धुंधली सी है। यह संकल्पना एक परिपूर्ण विचार की कल्पना पर आधारित है जो एक चुंबक बन कर मन की कल्पना को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा की रचनात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है।
ईश्वर शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का सर्वोच्च अभ्यासी है। चाहे मनुष्य अपने असलो व्यक्तित्व से कितना भी दूर चला जाए, ईश्वर हमेशा मनुष्य को उसी रूप में देखता है जिसमें उसने उसे बनाया है। शुद्ध संकल्पना का अभ्यास स्वर्ग के हर देवदूत द्वारा किया जाता है। अंतर्मन में हर मनुष्य यह बात जानता है,अपने दिल की गहराइयों में वह इस बात से अभिज्ञ है परन्तु बाह्य मस्तिष्क में इसकी स्मृति धुंधली सी है। यह संकल्पना एक परिपूर्ण विचार की कल्पना पर आधारित है जो एक चुंबक बन कर मन की कल्पना को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा की रचनात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है।


[[File:ConvallariaMajalis.jpg|thumb|upright|<span lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">Lily of the valley</span>]]
[[File:ConvallariaMajalis.jpg|thumb|upright|घाटी की लिली]]


<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
6,988

edits