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देवदूतों की स्वच्छन्द इच्छा ईश्वर की स्वच्छन्द इच्छा है। ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए देवदूतों की आवश्यकता होती है। देवदूतों के पास मनुष्य की तरह ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग करने की  स्वतंत्रता नहीं है। परन्तु देवदूतों के पास अपनी गलतियां सुधारने का अधिकार अवश्य है - अपनी गलतियां को सुधार कर वे स्वयं को ईश्वर की इच्छा और ऊर्जा के साथ पुनः जोड़ सकते हैं।   
देवदूतों की स्वच्छन्द इच्छा ईश्वर की स्वच्छन्द इच्छा है। ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए देवदूतों की आवश्यकता होती है। देवदूतों के पास मनुष्य की तरह ईश्वर की ऊर्जा का उपयोग करने की  स्वतंत्रता नहीं है। परन्तु देवदूतों के पास अपनी गलतियां सुधारने का अधिकार अवश्य है - अपनी गलतियां को सुधार कर वे स्वयं को ईश्वर की इच्छा और ऊर्जा के साथ पुनः जोड़ सकते हैं।   


कभी कभी देवदूत ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध विद्रोह कर देते हैं परन्तु यह विद्रोह मनुष्य की स्वच्छन्द इच्छा के फलस्वरूप हुए कर्म-निर्माण से अलग है। ईश्वर के नियमों के अंतर्गत अपनी स्वच्छन्द इच्छा का उपयोग करके मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरुप को पुनः प्राप्त कर सकता है। मनुष्य अपनी स्वच्छन्द इच्छा का विभिन्न रूप से प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि उसमें ईश्वर बनने की क्षमता है।   
कभी कभी देवदूत ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध विद्रोह कर देते हैं परन्तु यह विद्रोह मनुष्य की स्वच्छन्द इच्छा के फलस्वरूप हुए कर्म-निर्माण से अलग है। महान नियम के रूपरेखा के भीतर मनुष्य की विस्तारित ईश्वर-पहचान के लिए स्वच्छन्द इच्छा केंद्रीय है। मनुष्य अपनी स्वच्छन्द इच्छा का विभिन्न रूप से प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि उसमें ईश्वर बनने की क्षमता है।   


वहीँ दूसरी ओर, यदि देवदूत - जिनका काम केवल ईश्वर की स्वतंत्र इच्छा को पूरा करना है - ईश्वर की इच्छा का विरोध करते हैं, तो वे अपने उच्च स्थान से निष्कासित हो जाते हैं। ऐसे देवदूतों को मनुष्य जीवन लेना होता है।   
वहीँ दूसरी ओर, यदि देवदूत - जिनका काम केवल ईश्वर की स्वतंत्र इच्छा को पूरा करना है - ईश्वर की इच्छा का विरोध करते हैं, तो वे अपने उच्च स्थान से निष्कासित हो जाते हैं। ऐसे देवदूतों को मनुष्य जीवन लेना होता है।   
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