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प्रकाश की प्रियतमा, मेरी समरूप जोड़ी मेरे साथ उपस्थित है। मैं आपसे इस गौरवशाली प्रकाश के सम्मान में खड़े होने का अनुरोध करता हूँ जो मेरी दिव्य पूरक है। इस प्रकार मेरी स्त्री प्रतिरूपी आभा का सर्वथा विस्तार होता है । | प्रकाश की प्रियतमा, मेरी समरूप जोड़ी मेरे साथ उपस्थित है। मैं आपसे इस गौरवशाली प्रकाश के सम्मान में खड़े होने का अनुरोध करता हूँ जो मेरी दिव्य पूरक है। इस प्रकार मेरी स्त्री प्रतिरूपी आभा का सर्वथा विस्तार होता है । | ||
और इसलिए प्रकाश की यह शक्ति मस्तिष्क में, चक्रों में, उसके शिखर में पीली अग्नि की तीक्ष्णता को बढ़ाती रहती है, ताकि सभी सात किरणों का ज्ञान आप तक आ सके और जो लोग नीली किरण के सेवक हैं, वे समझ सकें कि उस किरण के हृदय में त्रिज्योति की लौ का गुणन है.. | |||
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