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Lucifer/hi: Difference between revisions

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== लूसिफ़र पर अंतिम निर्णय (The final judgment of Lucifer) ==
== लूसिफ़र पर अंतिम निर्णय (The final judgment of Lucifer) ==


[[Special:MyLanguage/Archangel Michael|महादेवदूत माइकल]] (Archangel Michael) ने १६ अप्रैल, १९७५  को लूसिफ़र को "पृथ्वी पर" बाँधा गया और उनके देवदूतों को "स्वर्ग में" बाँधा गया फिर लूसिफ़र को [[Special:MyLanguage/Sirius|सीरियस]] (Sirius) ग्रह पर [[Special:MyLanguage/Court of the Sacred Fire|पवित्र अग्नि के न्यायालय]] (Court of the Sacred Fire) में ले जाया गया जहां [[Special:MyLanguage/Four and Twenty Elders|फोर एंड ट्वेंटी एल्डर्स]] (Four and Twenty Elders) के समक्ष उन पर मुकदमा चलाया गया जो दस दिन तक चला। मुकदमें में दिव्यगुरुओं (ascended masters), महादेवदूतों  (archangels) और एलोहीम (elohim) के अतिरिक्त पृथ्वी और अन्य ग्रहों पर जन्म लेने वाली कई जीवात्माओं ने गवाही दी।
[[Special:MyLanguage/Archangel Michael|महादेवदूत माइकल]] (Archangel Michael) ने १६ अप्रैल, १९७५  को लूसिफ़र को "पृथ्वी पर" बाँधा गया और उनके देवदूतों को "स्वर्ग में" बाँधा गया फिर लूसिफ़र को [[Special:MyLanguage/Sirius|सीरियस]] (Sirius) ग्रह पर [[Special:MyLanguage/Court of the Sacred Fire|पवित्र अग्नि के न्यायालय]] (Court of the Sacred Fire) में ले जाया गया जहां [[Special:MyLanguage/Four and Twenty Elders|२४ ज्ञानी दिव्य गुरुओं ]] (Four and Twenty Elders) के समक्ष उन पर मुकदमा चलाया गया जो दस दिन तक चला। मुकदमें में दिव्यगुरुओं (ascended masters), महादेवदूतों  (archangels) और एलोहीम (elohim) के अतिरिक्त पृथ्वी और अन्य ग्रहों पर जन्म लेने वाली कई जीवात्माओं ने गवाही दी।


इसके बाद २६ अप्रैल १९७५  को सर्वसम्मत वोट के आधार पर लूसिफ़र को सर्वशक्तिमान ईश्वर के विरुद्ध पूर्ण विद्रोह का दोषी पाया गया और [[Special:MyLanguage/second death|दूसरी मौत]] (second death) की सजा सुनाई गई। जैसे ही वह अदालत के सामने पवित्र अग्नि के मंडल पर खड़े हुए, तीव्र सफेद रोशनी के सर्पिल के रूप में अल्फा और ओमेगा (Alpha and Omega) की लौ उठी और लूसिफ़र की चेतना का अंत हो गया - वह चेतना जो आकाशगंगाओं (galaxies) के एक तिहाई देवदूतों तथा पृथ्वी और अन्य स्थानों पर रहने वाली अनगनित जीवन तरंगों  के पतन का कारण थी।  
इसके बाद २६ अप्रैल १९७५  को सर्वसम्मत वोट के आधार पर लूसिफ़र को सर्वशक्तिमान ईश्वर के विरुद्ध पूर्ण विद्रोह का दोषी पाया गया और [[Special:MyLanguage/second death|दूसरी मौत]] (second death) की सजा सुनाई गई। जैसे ही वह अदालत के सामने पवित्र अग्नि के मंडल पर खड़े हुए, तीव्र सफेद रोशनी के सर्पिल के रूप में अल्फा और ओमेगा (Alpha and Omega) की लौ उठी और लूसिफ़र की चेतना का अंत हो गया - वह चेतना जो आकाशगंगाओं (galaxies) के एक तिहाई देवदूतों तथा पृथ्वी और अन्य स्थानों पर रहने वाली अनगनित जीवन तरंगों  के पतन का कारण थी।  
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