माइकल और फेथ (Michael and Faith)
महादेवदूत माइकल प्रथम किरण जो कि ईश्वरीय सुरक्षा, ईश्वर के प्रति आस्था और विश्वास, और ईश्वर की इच्छा को दर्शाती है, उसके महादेवदूत हैं। वे महादेवदूतों, दूतों के मेज़बानों, आस्था के रक्षकों तथ मुक्ति के देवदूतों के राजकुमार हैं। बुक ऑफ़ डेनियल नमक किताब में बताया गया है कि ये एक ऐसे राजकुमार हैं जो सदा हम इंसानों के लिए खड़े रहते हैं।[1] इनकी दैविक जोड़ीदार का नाम फेथ.है।

ऐतिहासिक विवरण
यहूदी, ईसाई और इस्लाम के धर्मग्रंथो और परम्पराओं में महादेवदूत माइकल को सर्वाधिक पूजनीय मन गया है। इस्लाम के अनुसार वे प्रकृति के एक ऐसे देवदूत हैं जो मनुष्यों के लिए ज्ञान और भोजन दोनों की व्यवस्था करते हैं। यहूदी परमपरा के अनुसार महादेवदूत माइकल ने ही जैकब के साथ युद्ध किया था, इन्होंने ही सिनाकरिब की सेना को ध्वस्त कर तीन यहूदी बालकों को आग की भट्टी से निकाला था। यही नहीं, जब जोशुआ जेरिको युद्ध में इस्राइल की सेना के नेतृत्व की तैयारी कर रहा है, महादेवदूत माइकल ने उनको दर्शन दिए थे।
बुक ऑफ़ रेवेलशन नामक पुस्तक में धर्मदूत जॉन ने लिखा है कि वो महादेवदूत माइकल ही थे जिन्होंने शैतान और उसके दूतों को स्वर्ग से पृथ्वी पर फेंका था।[2]इससे हमें ये पता चलता है की पतित देवदूतों ने पृथ्वी पर मूर्त रूप धारण किया और ये ज्ञान के ये शत्रु अभी भी यहीं हैं। महादेवदूत माइकल और उनकी नीली किरणों की सेना ही मनुष्यों की आत्मिक ज्ञान के इन शत्रुओं से रक्षा करते हैं।
उनकी तलवार और कवच
हाथ में तलवार लिए, शक्तिशाली नीले कवच में सुसज्जित महादेवदूत माइकल अपनी सेना के साथ प्रतिदिन सूक्ष्म लोक में उतरते हैं। यहाँ वे पृथ्वी छोड़ चुकी वे सभी जीवात्माएं जो ऊपरी लोकों में जाने में असमर्थ हैं, उन को मुक्त करते हैं ताकि वे अपनी आगे की यात्रा कर पाएं और दिव्यगुरुओं के आश्रय स्थलों पर जा सकें।
ये और इनके मुक्ति प्रदान करने वाले देवदूत सूक्ष्म लोक में जीवात्माओं के उद्धार के लिए दिन-रात अनवरत काम करते हैं। ये जीवात्माओं की रक्षा न केवल उनके स्वयं के कर्मों से करते हैं बल्कि काली शक्तियों के प्रक्षेपण से भी उनका बचाव करते हैं। ये कई युगों से यहाँ पर सेवा कर रहें है, और माइकल कहते हैं कि वे तब तक ये काम करते रहेंगे जब तक कि हर एक जीवात्मा का उद्धार नहीं ही जाता।
प्रकाशवाहकों को सूक्ष्म लोक की संलिप्तता से बचाने के लिए महादेवदूत माइकल के पास नीली लौ की एक तलवार है जो शुद्ध प्रकाश से बनाई गई है। यह नीली लौ की तलवार एक प्रकार से नीली लौ की बेंत है जिसका प्रयोग माइकल तब से कर रहे हैं जब लूसिफेरियन और लैगार्ड (ऐसी आत्माएँ जो पृथ्वी पर अपनी दिव्य योजना को पूरा नहीं कर पायी और ऊपर नहीं उठ पायीं) इस पृथ्वी पर आये थे। माइकल कहते हैं की ये तलवार ईश्वर की है। ईश्वर की यह भेंट ग्रेट सेंट्रल सन से उद्धृत है जिसे उन्होंने हरक्यूलिस नामक एलोहीम से प्राप्त किया है। नीली लौ की इस तलवार के आगे कोई नकारात्मक शक्ति टिक नहीं सकती।
आप भी इस नीली लौ की तलवार का आह्वाहन कर सकते हैं। इसकी कल्पना आप अपनी रसोई के गैस स्टोव के बर्नर में नीली लौ के रूप में करें। प्रतिदिन जब आप डिक्रीस करें तो अपनी कल्पना में इस नीली तलवार को अपने दाहिने हाथ में लेकर चारों तरफ घुमाएं और इस बात का विश्वास करें की यह तलवार आपके सभी बंधनों को काट रही है - वे सभी बंधन जो आपकी आगे की यात्रा में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इसी प्रकार आप अपने ग्रह (पृथ्वी) के लिए डिक्रीस और कल्पना करें। ऐसा रोज़ करने पर आप अपनी तथा अपने ग्रह की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएंगे।
काली शक्तियों से लड़ने के लिए आगे बढ़ते समय आप महादेवदूत माइकल का आह्वाहन उनके अदृश्य, अपराजेय और अभेद्य नीले कवच को पाने के लिए कर सकते हैं। महादेवदूत माइकल प्रकाषवाहकों की “शील्ड” नामक बिरादरी के सदस्य है - ये सभी सदस्य चौबीसों घंटे इस पृथ्वी पर जन्म लेनेवाले प्रत्येक स्त्री, पुरुष और बच्चे के आत्मिक ज्ञान की रक्षा में लीन रहते हैं।
महादेवदूत माइकल का कार्य
महादेवदूत माइकल हमारे लिए काफी विशेष हैं। प्रकाशदूतों की अपनी सेना के साथ ये हज़ारों सालों से हमारी सुरक्षा करते आ रहे हैं - हमारी देखभाल करते हैं, हमें भगवान् के मार्ग पर अडिग रखते हैं, कभी-कभी डांटते भी हैं ताकि हम यह समझ पाएं कि हर एक मनुष्य के जीवन की ईश्वर द्वारा निर्धारित एक दिव्य योजना है जिसके अनुसार उसे काम करना चाहिए। भगवान् हम सभी को बहुत प्यार करते हैं और उनका स्नेह अत्यंत मृदु एवं शीतल है। वे अपने देवदूतों द्वारा समय समय पर हमें अपना स्नेह दर्शाते भी हैं।
गॉडेस ऑफ़ लिबर्टी कहती हैं: “महादेवदूत माइकल आपके साथ हैं और वे आपके बुलाने पर वे हमेशा आते हैं, अच्छा होगा की आप प्रतिदिन उनकी डिक्रीस करें। ऐसा करने से मदद के लिए लगाई गई आपकी आवाज़ तुरंत सुनी जायगे[3] महादेवदूत माइकल ने हम में से हर एक के साथ ये वायदा किया है की अगर हम दिन में सिर्फ बीस मिनट के लिए भी डिक्रीस करते हैं, तो वे एक देवदूत को सदा हमारे साथ रखेंगे।
महादेवदूत माइकल हमें कहते हैं, “अपनी सारी शंकाएं, सारे प्रश्न मुझे दे दीजिये। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ इस से परमपिता परमेश्वर का अनंत स्नेह आपको मिलेगा। यह शक्ति और विश्वास अटल सत्य है।”[4]
कठिन समय से गुज़ारना कभी कभी ज़रूरी भी होता है क्योंकि ऐसे वक्त ही हम यह जान पाते हैं कि कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो न सिर्फ हमारा समर्थन कर रही हैं वरन हमारी जीत के लिए प्रार्थना भी कर रही हैं। जब कोई महादेवदूत हमें सरंक्षण देता है तो ये हमारी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि हम उनके इस उपहार को ग्रहण करें, उनका आह्वान करें। वो कहते हैं, “जब चीज़ें स्पष्ट हों, तब विश्वास की क्या आवश्यकता? विश्वास की आवश्यकता मुझे नहीं है, मुझे तो ये विश्वास आपको दिलाना है - आपको इस विश्वास की ज़रुरत है।”[5]
In most cases, the battle of life is not won on momentous decisions but on the little day-to-day experiences whereby, when you turn your heart to God in faith and trust, you receive the grace that cuts you free from the negative aspects of life in which your consciousness has momentarily become trapped. We can visualize the pathway of faith as a “mighty shimmering ribbon of light substance connecting the individual with his God Presence.”[6] Sometimes a simple thoughtform like this is all that will be needed to free us from the negative facets of life.
Dispensations from Archangel Michael
Archangel Michael has offered us another great gift from his heart of love—a dispensation given in Boston on April 22, 1961:
Blessed and beloved ones, some of you are of advancing years, and it will not be long before you shall vacate your body temples. Some of you shall do so by the ascension and some shall enter the realms of our world in the other manner called death.... I will make you one promise: If you will call to me secretly within your heart and ask me to come to you at that hour, I, Michael, will materialize to you at the hour of your passing and you will see me as I AM. And I will promise you that I will help to cut you free from the remaining portions of your karma and will help you to enter the realms of light with less of the attendant pain that results from human fear in their passing.
This is a privilege and a gift I give you from my heart. I flood it forth to the people of Boston and to those throughout the world who have the faith to accept and to realize that God walks and talks with men today in the same manner as of old. I AM Michael, Prince of the Archangels, rendering for the earth a cosmic service.[7]
Archangel Michael released the following dispensation in 1992:
In the name of Almighty God, I, Archangel Michael, assign to each and every one of you a member of my legions, one single mighty angel who shall stay with you as long as you give the call to Archangel Michael and any of our decrees to Archangel Michael for twenty minutes each day. So long as you sustain that which is the absolute minimum requirement of the Great Law, this angel of my bands shall not leave you until the hour of your ascension in the Light.[8]
Retreat
► Main article: Temple of Faith and Protection
Archangel Michael’s etheric retreat is in the Canadian Rockies at Banff, near Lake Louise. He also has a focus of light over Central Europe. His keynote is “The Navy Hymn” (“Eternal Father, Strong to Save”). The music of the “Bridal Chorus” from Lohengrin may also be used to invoke the radiance of the archangels and the angelic hosts.
Archangel Michael is the sponsor of police departments and law enforcement agencies around the world.
See also
For the cosmic being Faith, see Faith, Hope and Charity.
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Michael and Faith.”
- ↑ Dan. 12:1.
- ↑ Rev. 12:7–9.
- ↑ एलिज़ाबेथ कलीरे प्रोफेट, “How Angels Help You to Protect Yourself and Those You Love,” २१ फरवरी १९९३
- ↑ महादेवदूत माइकल, “Hail, Children of the White-Fire Sun,” ४ जुलाई 1971
- ↑ महादेवदूत माइकल, “When the Heart Cries Out to God,” Pearls of Wisdom, vol. 13, no. 35, ३० अगस्त १९७०.
- ↑ Ibid.
- ↑ Archangel Michael, “A Divine Mediatorship,” Pearls of Wisdom, vol. 25, no. 45, November 7, 1982.
- ↑ Archangel Michael, “Meet Us Halfway” Pearls of Wisdom, vol. 35, no. 50, November 8, 1992.